मंगलवार, 29 जुलाई 2014

विवाहिता को विधवा बनाती बिहार सरकार



बिहार सरकार की सूचना और जनसंपर्क विभाग विवाहिता को भी विधवा बना डालता है.यकीन नहीं होता हो तो सूचना व जनसंपर्क विभाग द्वारा 2007 में जारी “लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना” के पोस्टरों को जरा गौर से देखिए.

क्या आपको मालूम है की कनाडा की मशहूर फिल्म अभेनेत्री लीसा रानी रे बी.पी.एल. परिवार की विधवा है? चौकिए मत! परन्तु बिहार सरकार,लीसा रानी रे को बी.पी.एल. परिवार की विधवा मानता है.सुचना एवं जनसंपर्क विभाग बिहार,पटना द्वारा जनहित में जारी एक पोस्टर देखने से तो यही पता चलता है.लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के लिए जारी किये गए पोस्टरों में लीसा रानी रे की तस्वीर नजर आती है.इस विभाग द्वारा जारी पोस्टर में लीसा रानी रे को विधवा दिखाया गया है.जबकि लीसा रानी रे अपनी पति जसोंन देहाणी के साथ वैवाहिक जीवन का आनंद ले रही हैं.
क्या है योजना:-----
लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना को मुख्यत: विधवाओं के कल्याण के लिए वर्ष 2007 में आरंभ किया गया है.वर्तमान में इस योजना में वैसी विधवा महिला को पेंशन दिया जाता है
 (i) 18-39 वर्ष आयु वर्ग की हो एवं जो या तो बी.पी.एल. परिवार की हो या जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो.
(ii) 40 से 59 वर्ष आयु वर्ग की हो एवं जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो.
(iii) 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की हो एवं जिनकी वार्षिक आय रु. 60000/- से कम हो.


क्या है मामला:-----
लीसा रानी रे को लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के पोस्टरों में दिखाया गया है जो मुख्यत: विधवाओं के कल्याण के लिए है.दरअसल लीसा रे ने 2005 में दीपा मेहता की फिल्म “वाटर” में काम किया था इस फिल्म में 1938 में वाराणसी के आश्रम में विधवाओं की दशा का चित्रण किया गया है.सनद रहे की यह कनाडा की ओर से ओस्कर पुरस्कारों हेतु विदेशी वर्ग की श्रेणी में आधिकारिक प्रविष्टियों में थी.
  सूचना और जनसंपर्क विभाग,बिहार ने इसी फिल्म से एक तस्वीर उठाई और जनहित के लिए जारी कर दिया.शायद बिहार के नौकरशाह प्रचार हेतु अपने पोस्टरों में ग्लैमर का तड़का लगाना चाहते थे. इसी कारण लीसा रानी रे की तस्वीर लगा दी गई.यह योजना 2007 से लागू हुई है तब से इन पोस्टरों में दो मुख्यमंत्री के चेहरे(नीतीश कुमार ,जीतनराम मांझी)लगाये गए परन्तु इस तस्वीर पर किसी का ध्यान नहीं गया.अगर फिल्म के स्तर पर भी बात करें तो “वाटर” फिल्म में विधवा पुनर्विवाह और समकालीन समाज में उनकी दारुण दशा का चित्रण किया गया है.जबकि बिहार सरकार की योजना का उद्देश्य कुछ और ही है.
 प्रसंगवश:---- 24 जनवरी,2011, को महिला व बाल विकास मंत्रालय,भारत सरकार ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक विज्ञापन जारी किया था.इसमें कपिलदेव,अमजद अली खान,वीरेंद्र सहवाग के साथ-साथ सेवानिवृत पाकिस्तानी एयर मार्शल तनवीर महमूद अहमद की तस्वीर लगाई थी.मीडिया जब इसको संज्ञान में लाया तब उस तत्कालीन मंत्री कृष्णा तीरथ ने क्षमा मांगते हुए इस चूक की जांच के आदेश दिए थे.सनद रहे की इस तरह के प्रचार का काम भारत सरकार के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय करती है.
सूचना और जनसंपर्क विभाग की इस गलती के पीछे समाचार पत्रों की चुप्पी क्या कोई संकेत देता है? क्या यह संभव है की सात बर्षों तक प्रचारित इस पोस्टर पर किसी की नज़र नहीं गई होगी? पत्रकर और समाचारपत्र प्रबन्धन के साथ इस विभाग से कुछ रिश्ते ऐसे होतें हैं की इसको न छेड़ना ही उचित रहा हो.यह संभावना,शायद हकीकत भी हो सकती है.
  सूचना और जनसंपर्क विभाग बिहार सरकार पता नहीं अपने कामों को किस अंदाज में करती है की तरह की भूल कर देती है.क्या सूचना और जनसंपर्क विभाग यह पता लगाने का काम करेगी की इस तरह की गलती कैसे हो जाती है.क्या भविष्य में इस तरह की गलतियों को न दुहराया जाये इसके लिए कौन सी कार्यप्रणाली अपनाई जाएगी? इस तरह के गलतियों के लिए कौन उतरदायित्व है? यह बिहार सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग के नौकरशाहों की अज्ञानता का भी परिचायक है.यह विभाग किस हल्के-फुल्के ठंग से काम करता है,इसका पता इसी से चलता है.


रविवार, 6 जुलाई 2014

तनु की लड़ाई में खबरिया चैनल खामोश क्यों ?



“कोई करोड़ो दर्शकों से पूछे कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए न्यूज चैनल(ल्स)कैसे दिन-रात लड़तें हैं” रजत शर्मा ने यह लेख दैनिक भास्कर में दे मारा था ‘नसीहत देनेवालों की कमी नहीं’(28.11.2011)के नाम से.रजत शर्मा जी आपके इस करोड़ों लोगों में आपकी चैनल की एंकर तनु शर्मा क्यों नहीं है?क्यों जो चैनल करोड़ों लोगों की न्याय के लिए लड़ते रहते हैं वो तनु शर्मा के नाम पर खामोश है?क्यों नहीं कोई खबरिया चैनल इसको खबर बना रहा है?क्यों नहीं कोई टी.वी चैनल इस पर पैकेज बना रहा है?क्या यह इस कथन को सच नहीं कर रहा है की ‘एक वाचडॉग दुसरे वाचडॉग को नहीं काटता’.गीतिका शर्मा,जिया खान और वैष्णवी के मामलों से यह कितना अलग मामला रहा होगा की इसको तानने की फुरशत नहीं रही आपको?हमेशा सरोकार और न्याय की बात करने वाले पत्रकारों को क्या हो गया है?पत्रकारों के हित के लिए बनी कोई संस्था क्यों नहीं इसके लिए कुछ करती दिख रही है?क्यों बेबस है इस मामले में? दूसरों के लिए लगभग चीखते हुए स्टूडियों में लड़ाई लड़ते हो,जब अपनी पर आई तो तुम उसको टिकर लायक  भी नहीं समझते ?जब वैषणवी नाम की लड़की ने अभिषेक+ऐश की शादी के समय अपने हाथ की नसें काटी थी तब तो तुम बड़े चौड़े होकर उसकी व्यथा-कथा बता रहे थे,अब कंहा हैं आपके सरोकार?मालिक के तलवे चाट रहा है तेरा सरोकार ?क्या-क्या नहीं दिखाया,अगर यह दिखा -बता देते तो क्या हो जाता ?हाथ बंधे हुए हैं या हाथ ही नहीं है ?
प्रसंगवश :---
इंडिया टी.वी. की समाचार वाचिका द्वारा आत्महत्या की कोशिश यह तो संकेत देता ही है की भारतीय खबरिया चैनलों में सब कुछ अच्छा नहीं है.यह गुलाबी जितना दूर से दिखता है उतना है नहीं.इसका भी एक काला स्याह पक्ष है.पर टी. वी. मीडिया में एक खबर नहीं है?फर्ज करो अगर यही घटना किसी भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सरकारी,कंपनी या मल्टी नेशनल कंपनी के किसी कर्मचारी द्वारा किया जाता तो इनका रवैया यही रहता?अगर गुडगाव के किसी कंपनी की यह घटना रहती तो इसको तानते नहीं?तब अपने हाथ हिला-हिला कर देश-दुनिया-समाज की ऐसी की तैसी नहीं करते?अब जब अपनी बजबजाती सड़ांध को बताने-दिखाने की बारी आई तो क्या हुआ?दूसरों के लिए न्याय और सरोकार की बात करने वाले अब अपने न्याय और सरोकार की बात पर आई तो यह भोथरी क्यों होने लगी?तुम पत्रकारिता के आलावा सब कुछ करते हो पर वो नहीं जिसका तुम दावा करते हो?गीतिका शर्मा के केस को तुम लोगों ने कैसे ताना था?अब क्यों खामोश हो?
पीपली लाइव के नत्था को कवर करने के लिए सारी मीडिया आ गई थी,क्योकिं वो पहला लाइव सुसाइडर था.आज जब तनु शर्मा ने फेसबुक पर लाइव सुसाइड नोट लिखा तब भी उतना ही मसाला था.तब क्यों चूक गए टी.आर.पी लेने से? अपनी सड़ांध दिखाना नहीं चाहते?दूसरों के एम एम एस (MMS)मजे लेकर दिखाते हो अपने समय में नैतिकता याद आती है? किसी कंपनी के कर्मचारी की छटनी समाचार होती है और मीडिया के कर्मचारियों की छटनी कोई समाचार नहीं है?नेतायों के आर्थिक घोटाले समाचार हैं पर आपके घोटाले समाचार नहीं हैं?आप अपने चैनल में काम करने वाले महिलायों का उत्पीड़न (शारीरिक +मानसिक)करो तो ठीक और अगर यह कोई और करे तो तानने लगते हो खबर की तंबू ?अब जब आपके अन्दर की सड़ांध को दिखाने वाली गटर के मुहाने पर एक छोटी सी नल खोलने का काम तनु ने  किया तो इसको कवर करने में सांप क्यों सूंघ गया?दूसरे को कठघरे में बैठा कर सवाल करते हो तो अब कंहा गया आपका ज़मीर,अब क्यों नहीं अपने को कठघरे में रखकर सवाल पूछते हो?अब आप की अदालत कंहा लगाना है,शर्मा जी? शर्मा जी,तनु ने आरोप लगाया है की इंडिया टीवी की एक वरिष्ठ सहयोगी ने उन्हेंराजनेताओं और कॉरपोरेट जगत के बड़े लोगों को मिलनेऔर ग़लत काम करने को बार-बार कहा”. तनु के मुताबिक़, “इन अश्लील प्रस्तावों के लिए मना करने के कारण परेशान किया जाने लगा, इसकी शिकायत एक और सीनियर से की तो उन्होंने भी मदद नहीं की, बल्कि कहा कि ये प्रस्ताव सही है.
बिना ड्राइवर की कार,राखी-मीका,जुली-मटुकनाथ,प्रीति-वाडिया की हेट स्टोरी,कटहल,आजम खान की भैंस जैसे धागे तो तानकर तम्बू बनाने वाले मीडिया वालों आज तेरी अन्दर की सड़ांध की वजह से कोई आत्महत्या करने को विवश हुआ.इसको कब दिखायोगे.यह चीख़-चीख कर कब बतायोगे की इसके गुनाहगार नंबर एक में कौन है और नंबर दुसरे में कौन है?आप अपनी सड़ांध को दिखाने में शर्मा रहे हो शर्मा जी? हो सकता है की यह गलत कदम हो जो उस एंकर ने उठाया हो,उसके पास शायद कोई और उपाय ही न बचा हो? आप इतने शक्तिशाली तो हो ही की उसके किसी भी क़ानूनी प्रयास को भोथरा कर देते.अब तक आप हर किसी की पोल खोलते हो आखिर अब तक आपकी पोल क्यों नहीं खुली? अब खुली है तो उसको तानते नहीं हो? अब अपने दिल का बोझ हल्का कर लो शर्मा जी,आज अपने गुनाह की गिनती कर लो.शायद हल्का हो जाये जमीर,और आइना के सामने शर्मिंदा न होना पड़े.
रजत शर्म (शर्मा) जी के नाम में ही शर्म है तो यह उनके लिए करने की बात नहीं है,वैसे भी अपनी अदालत लगाने वाले अपनी बीबी को तो बचा ही लेंगें. क्या वजह है की रितु का नाम गायब होता जा रहा है पुरे बहस से?रजत सच में आप बड़े वाले हो ? खबरिया चैनल वालों आपको नींद आती होगी,जब अपने ही साथ का कोई बंदा /बन्दी मीडिया हाउस के प्रभुओं की वजहों से आत्महत्या करने की कोशिश करता हो और उसकी न तो खबर बना पातें न टिकर? यह यही काम किसी और संस्था या हाउस के बंदा/बन्दी ने किया होता तो क्या आप इसी तरह चुप्प रहते? माइक लेकर जब दूसरे की निजता की बाप-भाई ("माँ-बहन" कहना नारीवादी सोच के विरुद्ध हो सकती है) करते रहते हो तब कुछ समझ में आता है?याद रखो अगर आज तुम अपनी और सिर्फ अपनी चिंता कर रहे हो तो याद रखो कल तेरी चिंता कोई भी नहीं रखेगा.इस मामले को दवाने और रफा दफा करने के कितने प्रयास हो रहें होगें यह इसी से पता चलता है की इस  बहस से रजत शर्मा की बीबी रितु का नाम गायब होता जा रहा है?क्या उसकी कीमत पर और किसी की बलि चढ़ाई जाएगी?इसका मतलब यही है की जो प्रभु वर्ग है वो कुछ भी करेगा और आप कुछ नहीं कर पायेंगें। 
'कुछ तो होगा, कुछ तो होगा, अगर मैं बोलूंगा, न टूटे, न टूटे तिलिस्म सत्ता कामेरे अंदर का एक कायर टूटेगा।'रघुवीर सहाय का यह ‘कायर’ आदमी सोशल मीडिया में तो टूटता दिखाई दे रहा है पर तथाकथित मुख्यधारा की खबरिया चैनल अब भी मौन है.आखिर क्यों?