शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

भारतमाता बेजार रो रही है.


 
मकबूल फ़िदा हुसैन की कलाकृति

कंही भारतमाता की जय कहने पर पिटाई हो रही है(यह बात असत्य साबित हो गई है),तो कंही भारतमाता की जय नहीं बोलने पर पिटाई हो रही है. जब एक “टोपी” वाला कहता है कि भारतमाता की जय नहीं बोलेगा तो एक “दाढ़ी” वाला उसकी गर्दन काटने की बात कहता है पर जब यही बात एक “पगड़ी” वाला कहता है तो यह दाढ़ी वाला खामोश क्यों रह जाता है? क्या यह सेलेक्टिव विरोध नहीं है? अगर विरोध भारतमाता की जय नहीं बोलने को लेकर था तो टोपी और पगड़ी वालों ने समान बात की थी. दिल्ली में जो काम देशद्रोह की श्रेणी में आता है वही काम श्रीनगर में देशद्रोह की सीमा से अलग कैसे हो जाता है?
एक आदमी कहता है कि 'भारत माता की जय बोलना होगा' फिर वो आदतन बदल जाता है और कहता है 'भारत माता की जय थोपा नहीं जाना चाहिए' दूसरा आदमी कहता है कि ' कोई गर्दन पर छुरी भी रख दे,तो भी भारत माता की जय नहीं बोलूंगा. तीसरा आदमी कहता है 'अरे इस देश में कानून हैं, नहीं तो तेरी एक की क्या,हम तो लाखों की गर्दन काट सकते हैं.' चौथा आदमी कहता है कि 'भारतमाता की जय बोलना राष्ट्रवाद की एकमात्र परिभाषा होनी चाहिए. पांचवा आदमी कहता है ' सिख भारतमाता की जय नारा नहीं लगा सकतें हैं क्योकिं सिख धर्म में किसी भी रूप में महिला की पूजा नहीं की जाती'. छठा आदमी कहता है 'जो भारत माता की जय नहीं बोलता उसको भारत छोड़कर चले जाना चाहिए.'
माँ, अम्मी, बेबे, मातृ, मदर सभी एक ही अर्थ वाले समान शब्द हैं. वैसे ही जैसे कोई भारत माता की जय कहता है कोई जय हिन्द, कोई हिंदुस्तान जिंदाबाद,कोई मादर-ए-हिन्द. इस पुरे प्रकरण में लगता है कि एक समूह चाहता है कि 'तू कैसे नहीं बोलेगा तो दूसरा समूह कहता है तू बोलबा के तो दिखा.'
सुभाष चन्द्र बोस 'जय हिन्द' बोलते थे तो क्या आज उनसे भी 'भारत माता की जय' परिक्षण से गुजरना होता? जय भारत बोलने वाले क्या राष्ट्रवाद परीक्षण में असफल हो जाते.अगर भारत माता की जय ही राष्ट्रवाद की एकमात्र परिभाषा है तो फिर आधार कार्ड और पासपोर्ट की जगह भारत माता कार्ड लागू करनी चाहिए.जिसमें आप तीन बार भारतमाता की जय बोल दें और आप इस योजना के तहत भारत के नागरिक मान लिए जायेंगे.आपको किसी भी पासपोर्ट की जरुरत नहीं होगी.आप जब किसी बैंक जाए तो आप तीन बार माता की जय बोलें और आपको सारे कागजी प्रमाणों से मुक्ति मिल जाएगी.
एक विद्यालय ने कहा कि नामांकन के लिए उसे भारतमाता की जय बोलना होगा.परन्तु मेरा निवेदन यह है कि ‘अगर किसी ने अपनी उत्तर पुस्तिका में भारतमाता की जय लिखा है तो उसको कम से कम साठ प्रतिशत अंक देना अनिवार्य कर देना चाहिए. भारत सरकार को एक “भारतमाता आयोग” बनाना चाहिए जिसके द्वारा यह सुनिशचित किया जाए कि स्कूलों में  भारतमाता की जय बोलना अनिवार्य किया जाए. इस आयोग के तहत “भारतमाता जयकारा परिषद्” निर्मित की जाए. जयकारा शोध संस्थान बनाया जाए जिसमें यह शोध किया जाए कि इन जयकारों से देश में राष्ट्रवाद का स्तर कैसे बढ़ा है और इसको कैसे बढाया जाए.कुछ लोगों की मांग है कि भारतमाता की जय बोलने वाले इस देश में नहीं रह सकते हैं. कुछ लोग यह मांग सकते हैं कि जय हिन्द और हिंदुस्तान जिंदाबाद कहने वाले ही इस देश में रह सकते हैं. इस विवाद से निपटने के लिए एक सुपर आयोग बना दो.
इस सबके बीच भारतमाता जार-जार बेजार रो रही है.