मंगलवार, 24 जून 2014

रजत शर्मा या रजत शर्म (शर्मशार)



                   रजत शर्मा को शर्म मगर आती नहीं

इंडिया टी.वी. की समाचार वाचिका द्वारा आत्महत्या की कोशिश यह तो संकेत देता ही है की भारतीय खबरिया चैनलों में सब कुछ अच्छा नहीं है.यह गुलाबी जितना दूर से दिखता है उतना है नहीं.इसका भी एक काला स्याह पक्ष है.पर टी. वी. मीडिया में एक खबर नहीं है?फर्ज करो अगर यही घटना किसी भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सरकारी,कंपनी या मल्टी नेशनल कंपनी के किसी कर्मचारी द्वारा किया जाता तो इनका रवैया यही रहता?अगर गुडगाव के किसी कंपनी की यह घटना रहती तो इसको तानते नहीं?तब अपने हाथ हिला-हिला कर देश-दुनिया-समाज की ऐसी की तैसी नहीं करते?अब जब अपनी बजबजाती सड़ांध को बताने-दिखाने की बारी आई तो क्या हुआ?दूसरों के लिए न्याय और सरोकार की बात करने वाले अब अपने न्याय और सरोकार की बात पर आई तो यह भोथरी क्यों होने लगी?तुम पत्रकारिता के आलावा सब कुछ करते हो पर वो नहीं जिसका तुम दावा करते हो?गीतिका शर्मा के केस को तुम लोगों ने कैसे ताना था?अब क्यों खामोश हो?
पीपली लाइव के नत्था को कवर करने के लिए सारी मीडिया गई थी,क्योकिं वो पहला लाइव सुसाइडर था.आज जब तनु शर्मा ने फेसबुक पर लाइव सुसाइड नोट लिखा तब भी उतना ही मसाला था.तब क्यों चूक गए टी.आर.पी लेने से? अपनी सड़ांध दिखाना नहीं चाहते?दूसरों के एम एम एस (MMS)मजे लेकर दिखाते हो अपने समय में नैतिकता याद आती है? किसी कंपनी के कर्मचारी की छटनी समाचार होती है और मीडिया के कर्मचारियों की छटनी कोई समाचार नहीं है?नेतायों के आर्थिक घोटाले समाचार हैं पर तेरे घोटाले समाचार नहीं हैं?तुम अपने चैनल में काम करने वाले महिलायों का उत्पीड़न (शारीरिक +मानसिक)करो तो ठीक और अगर यह कोई और करे तो तानने लगते हो खबर की तंबू ?अब जब आपके अन्दर की सड़ांध को दिखाने वाली गटर के मुहाने पर एक छोटी सी नल खोलने का काम किया तो इसको कवर करने में सांप क्यों सूंघ गया?जब दूसरे को कठघरे में बैठा कर सवाल करते हो तो अब कंहा गया तेरा ज़मीर,अब क्यों नहीं अपने को कठघरे में रखकर सवाल पूछते हो?अब आप की अदालत कंहा लगाना है,शर्मा जी?बिना ड्राइवर की कार,राखी-मीका,जुली-मटुकनाथ,प्रीति-वाडिया की हेट स्टोरी,कटहल,आजम खान की भैंस जैसे धागे तो तानकर तम्बू बनाने वाले मीडिया वालों आज तेरी अन्दर की सड़ांध की वजह से कोई आत्महत्या करने को विवश हुआ.इसको कब दिखायोगे.यह चीख़ -चीख कर कब बतायोगे की इसके गुनाहगार नंबर एक में कौन है और नंबर दुसरे में कौन है?तुम अपनी सड़ांध को दिखाने में शर्मा रहे हो शर्मा जी ?हो सकता है की यह गलत कदम हो जो उस एंकर ने उठाया हो,उसके पास शायद कोई और उपाय ही बचा हो?तुम इतने शक्तिशाली तो हो ही की उसके किसी भी क़ानूनी प्रयास को भोथरा कर देते.अब तक तुम हर किसी की पोल खोलते हो आखिर अब तक तेरी पोल क्यों नहीं खुली या खुली पर उसको तानते नहीं हो.आज अपने दिल का बोझ हल्का कर लो शर्मा जी,आज अपने गुनाह की गिनती कर लो.शायद हल्का हो जाये जमीर,और आइना के सामने शर्मिंदा होना पड़े.
रजत शर्म (शर्मा) जी के नाम में ही शर्म है तो यह उनके लिए करने की बात नहीं है,वैसे भी अपनी अदालत लगाने वाले अपनी बीबी को तो बचा ही लेंगें. क्या वजह है की रितु का नाम गायब होता जा रहा है पुरे बहस से?रजत सच में तुम बड़े वाले हो ? खबरिया चैनल वालों आपको नींद आती होगी,जब अपने ही साथ का कोई बंदा /बन्दी मीडिया हाउस के प्रभुओं की वजहों से आत्महत्या करने की कोशिश करता हो और उसकी तो खबर बना पातें टिकर?यह यही काम किसी और संस्था या हाउस के बंदा/बन्दी ने किया होता तो क्या आप इसी तरह चुप्प रहते? माइक लेकर जब दूसरे की निजता की बाप-भाई ("माँ-बहन" कहना नारीवादी सोच के विरुद्ध हो सकती है) करते रहते हो तब कुछ समझ में आता है?याद रखो अगर आज तुम अपनी और सिर्फ अपनी चिंता कर रहे हो तो याद रखो कल तेरी चिंता कोई भी नहीं रखेगा.इस मामले को दवाने और रफा दफा करने के कितने प्रयास हो रहें होगें यह इसी से पता चलता है की इस  बहस से रजत शर्मा की बीबी रितु का नाम गायब होता जा रहा है?क्या उसकी कीमत पर और किसी की बलि चढ़ाई जाएगी?इसका मतलब यही है की जो प्रभु वर्ग है वो कुछ भी करेगा और आप कुछ नहीं कर पायेंगें।   
 दूसरों के लिए लगभग चीखते हुए स्टूडियों में लड़ाई लड़ते हो,जब अपनी पर आई तो तुम उसको टीकार लायक  भी नहीं समझते ?जब वैषणवी नाम की लड़की ने अभिषेक+ऐश की शादी के पहले अपने हाथ की नसें काटी थी तब तो तुम बड़े चौड़े होकर उसकी व्यथा-कथा बता रहे थे,अब कंहा हो भाई ?मालिक के तलवे चाट रहा है तेरा सरोकार ?क्या-क्या नहीं दिखाया,अगर यह दिखा -बता देते तो क्या हो जाता ?हाथ बंधे हुए हैं या हाथ ही नहीं है

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